
डिग्गी डिग्गी। धर्म, आस्था और परंपराओं से ओतप्रोत डिग्गी नगरी एक बार फिर अध्यात्म के रंग में रंगने को तैयार है। आगामी 27 जून को डिग्गी के हृदयस्थल — श्री कल्याण जी महाराज मंदिर से निकलने वाली भव्य रथ यात्रा के आयोजन की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। यह आयोजन केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा है, जिसमें हजारों श्रद्धालु सहभागिता करते हैं और भक्ति, श्रद्धा और संस्कारों का अनूठा संगम देखने को मिलता है। डिग्गी का श्री कल्याण जी मंदिर राजस्थान ही नहीं, देशभर में अपनी मान्यता और दिव्यता के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर साल आयोजित होने वाली रथ यात्रा एक ऐतिहासिक और धार्मिक परंपरा है, जो सामाजिक समरसता, लोक परंपराओं और धार्मिक आस्था का प्रतिनिधित्व करती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस रथ यात्रा में भाग लेने मात्र से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।रथ यात्रा के आयोजन की विस्तृत जानकारी देते हुए पंडित विजय नारायण शर्मा उर्फ जोनी ने बताया कि 27 जून, को रथयात्रा का शुभारंभ दिनभर चलने वाले धार्मिक अनुष्ठानों के साथ होगा।कार्यक्रम का प्रारंभ सुबह 10:15 बजे भजन-कीर्तन के साथ किया जाएगा। मंदिर प्रांगण में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ेगी, जहां भजन मंडलियां श्री कल्याण जी के गुणगान करते हुए भक्तिरस की सरिता बहाएंगे। इन भजनों के माध्यम से वातावरण में एक अद्भुत अध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होगा। दोपहर 2:15 बजे महाआरती का आयोजन होगा, जिसमें पूरे मंदिर परिसर में दीपों की ज्योति से एक दिव्य दृश्य उत्पन्न होगा। इसके तुरंत बाद 2:30 बजे भोग का कार्यक्रम संपन्न होगा। शाम 4:15 बजे रथ यात्रा का विधिवत शुभारंभ मंदिर प्रांगण से किया जाएगा। श्री कल्याण जी महाराज की सुसज्जित रथ को सजाया जाएगा फूलों, बंदनवारों और पारंपरिक प्रतीकों से। रथ में विराजमान भगवान की झलक पाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु सड़कों पर उमड़ पड़ते हैं। रथयात्रा मंदिर परिसर से प्रारंभ होकर डिग्गी के मुख्य बाजार, चौपड़ चौराहा और धौली दरवाजा होते हुए विजय सागर तालाब की पाल तक पहुंचेगी। शोभायात्रा के दौरान नगरवासियों द्वारा जगह-जगह पुष्पवर्षा, स्वागत द्वार और जल सेवा की व्यवस्था की जाती है। रास्ते भर भजन मंडलियां, ढोल-नगाड़ों की थाप और पारंपरिक नृत्य दल भक्तिरस में डूबे रहते हैं। यह रथयात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि डिग्गी की सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है। इसमें स्थानीय समाज के हर वर्ग का सहयोग रहता है — व्यापारी, ग्रामीण, महिलाएं, युवा, वृद्ध सभी इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। रथ यात्रा विजय सागर तालाब की पाल तक जाकर वहां पुजारी परिवार द्वारा श्री कल्याण जी महाराज का पारंपरिक स्नान कराया जाएगा। यह स्नान अनुष्ठान रथ यात्रा का प्रमुख आकर्षण होता है। विशेष वैदिक मंत्रोच्चारण, घंटों की ध्वनि और भक्ति भाव से ओतप्रोत यह दृश्य श्रद्धालुओं के हृदय में गहरी छाप छोड़ जाता है।स्नान के उपरांत रथ पुनः अपनी यात्रा करते हुए मंदिर प्रांगण लौटेगा