
डिग्गी।धर्मनगरी डिग्गी में गोचर भूमि के लिए 2100 बीघा जमीन आवंटित है परंतु धर्म नगरी डिग्गी में दबंगों का ऐसा कब्जा है जिससे अधिकारी भी 2100 बीघा चरागाह भूमि को खाली करने से कतराते हैं। डिग्गी निवासी रामनारायण मीणा,नोरत गुर्जर ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेशों की बावजूद भी प्रशासन ने पूरी तरह से आज तक एक भी बार चारागाह भूमि से अतिक्रमण नहीं हटवाया है।
प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के नाम पर की इतिश्री:-
डिग्गी निवासी रामनारायण मीणा, नोरत गुर्जर, राजाराम खारोल सहित अन्य ने बताया कि अब तक वह कहीं बार आंदोलन कर चुके हैं। जिला कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों को अतिक्रमण हटाने के लिए ज्ञापन भी दे चुके हैं परंतु प्रशासन ने चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने के नाम पर इतिश्री कर लेता है। 15 सितंबर 2022 में एक वाद दायर किया गया था इसमें उच्च न्यायालय की ओर से जिला कलेक्टर एवं स्थानीय प्रदर्शन को चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। इस पर प्रशासन की ओर से अधूरी कार्यवाही कर लगभग 13-14 सौ बीघा चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाया गया। जो हटाया गया अतिक्रमण आज वापस हो रखा है।
संभागीय को भी दी थी शिकायत
रामनारायण मीणा ने बताया कि ग्रामीणों ने संभागीय आयुक्त को डिग्गी आने पर लिखित में शिकायत दी थी। इस घटना पर उन्होंने तत्काल अतिक्रमण हटाने का आश्वासन दिया था। लेकिन प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने के चलते ग्रामीण तहसील कार्यालय के बाहर आमरण अनशन भी शुरू किया था। वही 15 सितंबर 2022 को अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने पानी की टंकी पर चढ़कर प्रदर्शन भी किया। परंतु इतना सब कुछ करने के बाद भी आज तक पूरी तरह से चारागाह भूमि खाली नहीं हो सका
।गौरतलब है कि डिग्गी कस्बे में 2100 बीघा चरागाह भूमि आरक्षित है जो आए दिन अतिक्रमणकारियों के पास जा रही है। जिसकी सूचना बार-बार लोगों की ओर से तहसीलदार , हल्का पटवारी व ग्राम पंचायत प्रशासन को देने के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसकी जानकारी राजस्व विभाग के आला अधिकारियों व हल्का पटवारी सहित ग्राम पंचायत प्रशासन को होने के बाद भी नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे लोगों में नाराजगी बनी हुई है।
ग्रामीणों का आरोप:-
अतिक्रमण हटाने के नाम पर की जाती है खानापूर्ति डिग्गी चारागाह बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य राम नारायण मीणा ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है।
चारागाह भूमि पर अतिक्रमण गोवंश की आफत
डिग्गी कस्बे में चारागाह भूमि पर अतिकर्मियों द्वारा कब्जा करने से गोवंश को विचरण करने की सुविधा नहीं मिल रही है। जिससे गोवंश को मजबूरन पेट की भूख को शांत करने के लिए किसानों के खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।2100 बीघा चरागाह भूमि आवंटित धर्मनगरी डिग्गी में 2100 बीघा चरागाह भूमि आवंटित है। अतिक्रमण हो रखा है। जिसके चलते पशु भूखे मर रहे हैं। 1357.18 बीघा भूमि डिग्गी क्षेत्र में आवंटित है । वही 333 बीघा प्रतापपुरा,398.4 बीघा भवानीपुरा में आवंटित की गई है। परन्तु इन सब पर अतिक्रमण करने से पशु भूखे मर रहे हैं। अधिकांश लोग खेती एवं पशुपालन कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। एक तरफ पशुपालक समुदाय है, जिसकी आजीविका गोचर (साझा चरागाह भूमि) पर मवेशियों को चराने पर निर्भर करती है। दूसरी तरफ़, चारागाह भूमि पर प्रभावशाली लोग अतिक्रमण कर अपना अधिकार जता रहे हैं । पिछले पांच सालों से यहाँ हालात ऐसे ही हैं, चरागाह की ज़मीन पर अतिक्रमण लगातार बढ़ रहा है। और पशुपालक अपने पशुओं और पर्यावरण की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
कानून क्या कहता है?
राजस्थान भूमि काश्तकारी अधिनियम 1955, भूमि राजस्व अधिनियम 1956 और राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 के अनुसार, चारागाह भूमि की सुरक्षा और विकास की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत, नगर पालिका की है। पंचायती राज नियम 1996 के नियम 136, 169 और 170 के तहत, हर ग्राम पंचायत का यह कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि चारागाह भूमि न केवल अतिक्रमण से मुक्त और सुरक्षित हो, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि उस पर उपयुक्त प्रकार की झाड़ियाँ और पौधे उगाए जाएँ।समय-समय पर राज्य सरकार ने इस संबंध में सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हुए हैं।लेकिन प्रशासन जमीनी स्तर पर इसका पालन करने में विफल रहा हैं।
गौरतलब है की याचिकाकर्ता ने गत सितंबर महीने में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि डिग्गी गांव में प्रसिद्ध कल्याण जी महाराज का मंदिर स्थित है और हर साल लाखों यात्री यहां दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन यहां स्थित करीब 2100 बीघा चारागाह भूमि पर गांव के प्रभावशाली लोगों ने अतिक्रमण कर रखे हैं. ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन को कई बार लिखित शिकायत भी की, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.स्थानीय उपखंड अधिकारी ने जिला कलेक्टर को 4 जनवरी 2020 को पत्र भेजकर कहा कि संसाधनों के अभाव में ग्राम डिग्गी के अतिक्रमण हटाना असम्भव है. जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने इस संबंध में कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित पीएलपीसी को अभ्यावेदन देने और कलेक्टर को उस पर तीन महीने में कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.15 सितंबर 2022 को डिग्गी कस्बे के 4 ग्रामीण अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर पानी की टंकी पर भी चढ़े थे ।परंतु प्रशासन के आश्वासन के बाद नीचे उतरे। वहीं उस से पहले 30 मार्च को ग्रामीणों ने मालपुरा एसडीएम को ज्ञापन सौंपा था।
नायब तहसीलदार डिग्गी हंसराज चौधरी ने बताया कि वर्तमान में पटवारी एवं गिरदावरों के द्वारा फसल निरीक्षण का कार्य चल रहा है। फसल कटाई के बाद चारागाह को चिन्हित कर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जाएगी। साथ ही अतिकर्मियों पर सख्त कार्यवाही को अंजाम दिया जाएगा। उच्च अधिकारियों की पालना में चारागाह गोचर भूमि पर अतिक्रमण बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।