श्रद्धा के शहर में सुविधाओं का संकट: डिग्गी में कब सुधरेंगी व्यवस्थाएँ?

डिग्गी टोंक जिले में स्थित डिग्गी कल्याण नगरी न केवल आस्था का प्रमुख केंद्र है, बल्कि यह एक ऐसा तीर्थस्थल है, जहां वर्ष भर लाखों श्रद्धालु भगवान कल्याण जी के दर्शन हेतु दूर-दराज से आते हैं। हर दिन हजारों भक्त यहां पहुंचते हैं और विशेष अवसरों पर यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन जितनी तेज़ी से इस धार्मिक स्थल की लोकप्रियता और मान्यता बढ़ी है, उतनी ही धीमी गति से यहां बुनियादी सुविधाओं का विकास हुआ है। आज डिग्गी नगरी एक गंभीर सुविधा संकट से जूझ रही है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनाई गई ढांचागत व्यवस्थाएं या तो टूटी हुई हैं या अनुपयोगी स्थिति में हैं। शौचालय, स्वच्छता, पेयजल और मार्गव्यवस्था जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की भारी कमी यहां आने वाले हर भक्त को महसूस होती है। इस व्यवस्था की खामियों से न सिर्फ यात्रियों को असुविधा हो रही है, बल्कि यह एक पवित्र धार्मिक स्थल की गरिमा को भी आहत करती है। करीब दो वर्ष पूर्व ग्राम पंचायत डिग्गी द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए डिग्गी चौपड़ चौराहे पर दो सुलभ शौचालय कॉम्प्लेक्स लगाए गए थे। इनका उद्देश्य तीर्थयात्रियों को स्वच्छ और सुलभ शौच सुविधा देना था। लेकिन कुछ ही महीनों में यह कॉम्प्लेक्स खराब हो गए और अब स्थिति यह है कि ये जर्जर, गंदगी से भरे और पूर्णत: अनुपयोगी हो चुके हैं। समस्या यहीं समाप्त नहीं होती। डिग्गी अब ग्राम पंचायत से नगर पालिका में परिवर्तित हो चुकी है, लेकिन नई प्रशासनिक व्यवस्था के बाद भी पुराने ढांचों की मरम्मत या संचालन की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं हुआ। ऐसे में स्थानीय लोग और व्यापारी वर्ग प्रशासन की गंभीरता पर सवाल उठा रहे हैं। स्थानीय निवासी रवि कुमार जैन, दीपांशु पाराशर, लोकेश गौतम, विमल विजयवर्गीय, सोनू चतुर्वेदी जैसे कई लोगों ने बताया कि डिग्गी कल्याण मंदिर से लेकर धौली दरवाजे तक पूरे रास्ते में कहीं भी शौचालय की सुविधा नहीं है। त्योहारों, मेलों या डिग्गी पदयात्रा के दौरान यहां भीड़ बहुत बढ़ जाती है। इस स्थिति में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को होती है। कई बार मजबूरी में खुले में जाना पड़ता है, जो स्वास्थ्य, सुरक्षा और धार्मिक मर्यादा सभी के लिए अनुचित है।स्थानीय व्यापारी शंकर सैनी का कहना है कि, “डिग्गी जैसे तीर्थस्थल पर जहां रोज़ हजारों लोग आते हैं, वहां शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा तक न होना शर्मनाक है। त्योहारों में तो महिलाएं दुकान में आकर पूछती हैं कि कहीं पास में सुविधा है क्या?” ऐसे हालात में तीर्थ का अनुभव श्रद्धा से ज़्यादा संघर्ष बन जाता है।व्यापारी वर्ग के साथ-साथ समाजसेवी और अन्य नागरिकों ने भी इस मुद्दे को लेकर कई बार नगर पालिका अधिकारियों से संपर्क किया है। लेकिन, जैसा कि दिलीप जैन, किशन जादम, संजय गुर्जर, सत्यनारायण चौधरी, कमल गुर्जर जैसे लोगों ने बताया – “या तो शिकायतें अनसुनी रह जाती हैं या फिर जवाब में सिर्फ आश्वासन मिलता है।”हालांकि इस मुद्दे पर नगर पालिका की ओर से कुछ गतिविधियाँ देखने को मिल रही हैं। डिग्गी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी हंसराज चौधरी ने जानकारी दी कि जल्द ही धौली दरवाजे से कल्याण मंदिर के मध्य में शौचालय निर्माण की योजना पर कार्य शुरू होगा। डिग्गी कल्याण जी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सामूहिक आस्था और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। यहां हर साल डिग्गी पदयात्रा में लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं, बुजुर्ग और युवा शामिल होते हैं। ऐसे आयोजन स्वच्छता, सुरक्षा और सुविधा जैसे पहलुओं की ओर प्रशासन का ध्यान खींचते हैं।

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