

डिग्गी।राजबलाई समाज द्वारा आयोजित भव्य सामूहिक विवाह सम्मेलन में इस वर्ष 39 जोड़ों ने अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरों के साथ एक-दूजे का साथ निभाने की शपथ ली। यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक और पारंपरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि सामाजिक समरसता और एकता का भी शानदार उदाहरण बना। कार्यक्रम की शुरुआत राजबलाई धर्मशाला से हुई, जहां से दूल्हा-दुल्हन की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में हाथी, घोड़े और पारंपरिक बग्गियों का विशेष रूप से सजाया गया उपयोग किया गया, जिसने पूरे वातावरण को राजसी और सांस्कृतिक रंगों से भर दिया। बैंड-बाजों की धुन और परंपरागत वेशभूषा में सजे बारातियों ने माहौल को आनंदमय बना दिया।शोभायात्रा कस्बे के मुख्य मार्गों से गुजरते हुए वापस राजबलाई धर्मशाला पहुंची, जहां पर पाणिग्रहण संस्कार का आयोजन विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार और समाज के वरिष्ठ जनों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। हालांकि सुबह के समय मौसम ने थोड़ी देर के लिए आयोजन की रफ्तार को प्रभावित किया। तेज आंधी के कारण टेंट की सीलिंग टूट गई और कुछ स्थानों पर पंखे गिर गए या अपनी जगह से हिल गए, जिससे सम्मेलन की व्यवस्थाएं कुछ समय के लिए बिगड़ गईं। लेकिन आयोजकों और समाज के सेवाभावी युवाओं ने तत्परता से स्थिति को संभाला और जैसे ही मौसम साफ हुआ, व्यवस्थाओं को दोबारा सुचारु कर लिया गया।विवाह मंडप को पारंपरिक रंगों और फूलों से सजाया गया था, जो आयोजन की गरिमा और धार्मिक भावनाओं को उजागर करता था। इस आयोजन में हजारों की संख्या में समाज बंधुओं ने भाग लिया और नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया।कार्यक्रम में समाज के वरिष्ठजनों, गणमान्य नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवाओं की भागीदारी ने यह संदेश दिया कि आज भी सामूहिक विवाह जैसे आयोजन सामाजिक एकता, आर्थिक सशक्तिकरण और परंपरा के संरक्षण की दिशा में सार्थक कदम हैं। समाज के अध्यक्ष रामगोपाल, कोषाध्यक्ष मदनलाल, महासचिव रामदेव,मुख्य संरक्षक गोपाल ,संयोजक भवानी शंकर ने बताया कि राजबलाई समाज के इस सम्मेलन का उद्देश्य था कि विवाह जैसे महत्वपूर्ण अवसर को सरल, सुलभ और सामाजिक रूप से स्वीकार्य बनाया जाए।कार्यक्रम के अंत में सामूहिक भोज का आयोजन किया गया, जिसमें सभी समाज बंधुओं ने भाग लिया और नवविवाहितों को शुभकामनाएं दीं। पूरे आयोजन में अनुशासन, भावनात्मक जुड़ाव और सामाजिक चेतना की झलक स्पष्ट रूप से देखने को मिली।