महाकुंभ में हरभांवता आश्रम संत बालकानन्द महाराज बने महामंडलेश्वर

जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज ने दी पदवी, शनिवार को आश्रम आने पर महामंडलेश्वर का होगा भव्य स्वागत प्रयागराज महाकुंभ में टोंक जिले के हरभांवता आश्रम के संत स्वामी बालकानन्द महाराज महामंडलेश्वर बनने का शोभाग्य प्राप्त हुआ है। इन्हे पिछले दिनों जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज के निर्देशन में अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे माला पहनाकर उन्हें महामंडलेश्वर घोषित किया। उन्हे अमृत स्नान कराया गया। ये 25 साल की उम्र से ही धार्मिक आस्था होने से संत बन गए थे। इनके निर्देशन में आश्रम में गौशाला का संचालन समेत जनहित के कार्य किए जा रहे है । इनके लोक कल्याण कार्यो को देखकर इन्हे महामंडलेश्वर घोषित किया है। बताया जा रहा है कि इस साल महाकुंभ में टोंक समेत आसपास के जिलों से महामंडलेश्वर की उपाधि पाने वालों में सिर्फ बालकानंद महाराज ही है। इससे एक दशक से ज्यादा समय से पहले भी नोहटा आश्रम के महाराज को महाकुंभ महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी।उधर इन्हे महामंडलेश्वर की पदवी मिलने के साथ ही जिले में भी खुशी की लहर दौड़ गई है। अब महामंडलेश्वर बनकर पहली बार यहाँ अपने आश्रम में पहुंचने पर बालकानन्द महाराज का बड़े स्तर स्वागत करने की भक्तों ने तैयारियां शुरु कर दी है। महामंडलेश्वर स्वामी बालकानन्द महाराज प्रयागराज से रवाना हो चुके है। वे कल शनिवार को अपने आश्रम पहुंच जाएंगे। इससे पहले उनका जयपुर के शिवदासपुरा टोल प्लाजा से हरभावता आश्रम तक जगह जगह जोरदार स्वागत किया जाएगा।जयपुर सहित आसपास के जिलों से महाकुंभ में महामंडलेश्वर की उपाधि पाने वालों में सिर्फ बालकानंद महाराज का नाम ही बताया जा रहा है। बालकानंद महाराज 25 साल की उम्र (1995) में सांसारिक जीवन को छोड़कर संत बन गए थे। इसलिए बालकनाथ नाम पड़ा। शनिवार सुबह वे हरभांवता आश्रम पर पहुंचेंगे। जहां बड़ा धार्मिक कार्यक्रम होगा। इसमें टोंक, सवाईमाधोपुर, जयपुर आदि जिलों से श्रद्धालु आएंगे। किसान परिवार में पैदा हुए थे महामंडलेश्वर महामंडलेश्वर बालकानन्द महाराज का जन्म किसान परिवार में हुआ था। इनकी माता का नाम स्व. नुरका देवी व पिता रामगोपाल हैं। महामंडलेश्वर का सांसारिक नाम मोतीलाल हैं। ये चार भाई-बहन थे। इनमें महाराज सबसे छोटे हैं। इनकी शुरू से ही धार्मिक कामों में रुचि थी। 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने भक्ति का मार्ग अपना लिया था | हरभांवता आश्रम में वे 1995 से संत हैं। आश्रम के संत ब्रह्मलीन हो चुके स्वामी सेवानंद महाराज के शिष्य बन गए। बालकानन्द महाराज प्राइमरी शिक्षित है।इनकी गौशाला को गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया था महामंलेश्वर बालकानन्द के निर्देशन में हरभावता आश्रम में गोशाला चल रही है। गोशाला में करीब 200 गोवंश है। गणतंत्र दिवस पर पशुपालन विभाग की ओर से आश्रम हरभांवता में संचालित सेवानंद गोशाला समिति को सर्वश्रेष्ठ गो सेवा के लिए सम्मानित किया था। इनपुट: बाबू लाल पोसवाल, जामडोली

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