डिग्गी थाना क्षेत्र में खुल्लम खुल्ला बिक रही स्मेक

डिग्गी।धर्मनगरी डिग्गी में अवैध नशे का कारोबार जोरों पर है। नशे के चुंगल में इन दिनों डिग्गी कस्बे के युवा फंसते नजर आ रहे हैं। जिनमें (14 से 25 साल) के युवाओं को नशे की लत तेजी से फैलती जा रही है । यह नशा शराब या सिगरेट का नहीं है। बल्कि गांजा, अफीम और स्मेक और नशीली दावाओं का है। इस तरह का नशा करने की वजह से युवाओं की मानसिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। कई का तो मनोचिकित्सालयों में इलाज भी चल रहा है, वहीं इस नशे के आदी होने के बाद से क्षेत्र में क्राइम भी बढ़ते जा रहे हैं

फोटो: डेमो

खरीद:- टोकन के आधार पर एक युवा नाम नहीं छापने के आधार पर बताता है कि युवाओं के लिए स्मैक खरीदना आसान सी बात है, लेकिन कानून व्यवस्था से जुड़ी पुलिस को इसकी भनक तक नहीं कि अवैध स्मैक का कारोबार कस्बे में कहां और किस तरह हो रहा है। उसने बताया कि स्मेक के लिए एक कोड वर्ड रहता है जिसे (टोकन)कहते हैं । जो लगभग 500 रुपए का रहता जिससे एक बार नशा करने जितनी स्मेक दी जाती है। नशे की चपेट में आए युवा 500 से लेकर 1000 तक स्मैक की एक खुराक पीते पीते सब कुछ लुटने के बाद 10 रुपए के इंजेक्शन और नशीली गोलियों से नशे की प्यास शांत कर रहे हैं।लेकिन हमारी चुस्त दुरुस्त और अपराधियों की धर पकड़ के लिये सदैव मुस्तैद रहने वाली पुलिस इन सब से अनजान है। नशेडिय़ों के चंगुल में युवा फंस जाते है।

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युवा मन को जोश व उमंग की उम्र कहा जाता है। यही उम्र का एक ऐसा पड़ाव होता है जब अपने भविष्य को लेकर इसी युवा मन द्वारा अपना लक्ष्य साधा जाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश कस्बे के युवाओं की नसों में जोश-ओ-खरोश से ज़्यादा नशा तैरता नज़र आ रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि क्षेत्र में स्मैक का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा और युवा पीढ़ी नशे की आदी होती जा रही। जिम्मेदार इन सब से बाख़बर होने के बावजूद भी पूरी तरह से बेखबर बने बैठे हैं।पुलिस के द्वारा कार्यवाही दिखाने के लिये कभी कभार एक आध की गिरफ्तारी कर कागज़ी कोरम पूरा कर लिया जाता है और फिर उसके बाद स्मैक का धंधा बेधड़क चालू रहता है। जिससे स्मैक का कारोबार बढ़ता जा रहा है। युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं। हैरत की बात यह है कि पुलिस स्मैक कारोबारियों पर कार्रवाई की बात कह रही है लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। स्मैक विक्रेता क्षेत्र में अपनी पैठ गहरी करते जा रहे हैं। हर इलाका इनकी चपेट में हैं। धूम्रपान से लेकर शराब का सेवन तक करने में 14 साल से लेकर 25 वर्ष तक की आयु के ही युवा ज्यादा चिह्नित किए जा रहे हैं। नशे के दलदल में फंसने वालों में अच्छे अच्छे परिवारों के बच्चे भी शामिल हैं, जो पढऩे लिखने की उम्र मेें नशे के आदी होते जा रहे हैं। नशे में धूम्रपान से लेकर शराब का सेवन तो किया ही जा रहा, इसके अलावा जो इन दिनों नशा नसों में उतारा जा रहा है, उनमें स्मैक का नाम पहले लिया जा रहा है। जो युवा जोश के साथ मौत के मुंह में जाना पंसद कर रहे है।बताते चलें कि सबसे ज्यादा युवाओं के अंदर स्मैक का नंशा फैल रहा है। जो युवाओं के परिवारों को भी बर्बादी की ओर ढकेल रहा है। कई स्थानों पर हो रही स्मैक की बिक्री युवाओं को बर्बाद कर रही है। महंगा नशा नशेड़ी के साथ ही पूरे परिवार को तबाह कर रहा है। वहीं जिम्मेदार अपनी कुम्भकर्णीय नींद में अब भी तल्लीन हैं। बताया जाता है कि स्मैक का नशा युवाओं के दिलो दिमाग पर इस कदर छा जाता है कि 15 दिन में ये इसके आदी हो जाते हैं। इसकी तलब मिटाने के लिए स्मैकची को जैसे-तैसे स्मैक का जुगाड़ करना पड़ता है। स्मैक नहीं मिलने पर युवाओं में गुस्सा होना, झगड़ा करना इत्यादि आदतें सामान्य हो जाती है। ऐेसे में महंगे नशे का शौक पूरा करने के लिए कई युवा अपराध की राह चुन रहे हैं।

फ़ोटो:- डेमो

सवाल यह उठता है कि क्या महज़ चंद कागज़ के टुकड़ों के आगे इनसानी ज़िन्दगियों का कोई मोल नहीं। आम तौर पर मुखबिर खास की सूचना पर खूंखार और शातिर अपराधियों को जंगल झाड़ियों में योजना बनाते हुए धर दबोचने का दावा कर सराहनीय कार्यों का प्रेस नोट जारी कर अपना बखान करने वाली डिग्गी पुलिस के मुखबिर खास इन स्मैक कारोबारियों के गोरखधन्धे की सूचना पुलिस को उपलब्ध क्यों नही करा पा रही है। आखिर थानों और चौकियों से महज़ चंद फासलों पर धड़ल्ले से बिक रही स्मैक पर रोक लगा पाने में पुलिस नाकाम साबित क़्यो हो रही है।

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