
डिग्गी क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों का मकड़जाल: बिना अनुमति बसाई जा रही नई रिहायशी बस्तियां, प्रशासन सख्त डिग्गी: डिग्गी क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों का जाल दिन-ब-दिन फैलता जा रहा है। कल तक जो ज़मीनें कृषि कार्य के लिए उपयोग में ली जाती थीं, आज वहां प्लॉटिंग कर कॉलोनियां बसाई जा रही हैं। न डायवर्जन की अनुमति, न ही विकास के कोई वैधानिक मापदंड पूरे किए जा रहे हैं, फिर भी कॉलोनाइज़र बेखौफ होकर जमीनों की बेजा खरीद-फरोख्त और प्लॉटिंग में लगे हैं। डिग्गी क्षेत्र के कई गाँवों और कस्बों के आसपास रातों-रात कॉलोनियां खड़ी हो रही हैं। खेतों को समतल कर वहां सड़कों के नाम पर कच्चे रास्ते बना दिए गए हैं और बिना किसी बुनियादी सुविधाओं के प्लॉट बेचे जा रहे हैं। न पानी की व्यवस्था, न बिजली की लाइनें, न सीवरेज की कोई प्लानिंग—फिर भी भोले-भाले ग्रामीणों को झांसा देकर जमीन के टुकड़ों को सुनहरे भविष्य के सपने दिखाकर बेचा जा रहा है। दैनिक भास्कर ने उठाया था मुद्दाडिग्गी नायब तहसीलदार हंसराज चौधरी ने बताया कि इस प्रकार की अवैध गतिविधियों की जानकारी प्रशासन को प्राप्त हो चुकी है। उन्होंने बताया, “जिन-जिन स्थानों पर अवैध कॉलोनियों की सूचना मिली है, उन सभी को नोटिस जारी कर दिया गया है। संबंधित लोगों को जल्द ही तहसील में तलब किया गया है और यदि वे निर्धारित समय पर उपस्थित नहीं हुए अथवा संतोषजनक जवाब नहीं दे सके, तो सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।” इन अवैध कॉलोनियों की वजह से ग्रामीणों में भी असंतोष देखने को मिल रहा है। कई ग्रामीणों का आरोप है कि ये कॉलोनाइज़र बाहरी लोग हैं, जो स्थानीय लोगों की अनभिज्ञता का फायदा उठाकर सस्ते दामों में जमीनें हथिया रहे हैं। राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम और नगरीय विकास विभाग के नियमों के अनुसार, किसी भी कृषि भूमि को कॉलोनी के रूप में विकसित करने से पहले डायवर्जन की अनुमति आवश्यक होती है। इसके साथ ही, नियोजित कॉलोनी के लिए नगर नियोजन विभाग से नक्शों की स्वीकृति, सड़कों, नालियों, पार्किंग, सीवरेज और अन्य सुविधाओं की प्लानिंग अनिवार्य है। लेकिन डिग्गी में चल रही प्लॉटिंग इस प्रक्रिया का कहीं से भी पालन नहीं कर रही। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अवैध कॉलोनियों का यह गोरखधंधा बिना किसी राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं है। क्षेत्र में कई ऐसी कॉलोनियां हैं जो वर्षों से विकसित हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक न तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई, न ही संबंधित विभागों ने उन्हें वैध करने की प्रक्रिया में कोई गंभीरता दिखाई। डिग्गी नायब तहसीलदार हंसराज चौधरी ने बताया कि कॉलोनाइज़र तय समय पर नोटिस का जवाब नहीं देते, तो संबंधित जमीनों को कब्जे से मुक्त करवाकर दोबारा कृषि भूमि घोषित किया जा सकता है। इसके साथ ही जिन खरीदारों ने प्लॉट खरीदे हैं, उन्हें भी चेताया गया है कि वे ऐसे सौदों से पहले वैधानिक दस्तावेजों की जाँच करें और प्लॉट की स्थिति की तहसील या नगरपालिका से पुष्टि करें।डिग्गी क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों के साथ-साथ अब चारागाह भूमि पर भी अतिक्रमण की खबरें सामने आ रही हैं। स्थानीय निवासी नोरत गुर्जर ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर वह कई बार हाई कोर्ट से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक शिकायत कर चुके हैं।उनका कहना है कि चारागाह की जमीन, जो गांव की सामूहिक संपत्ति होती है और पशुओं के लिए आरक्षित रहती है, अब उस पर भी अवैध निर्माण हो रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा बार-बार की गई शिकायतों के बावजूद प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।नोरत गुर्जर का आरोप है कि यह अतिक्रमण न सिर्फ ग्रामीणों के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह क्षेत्र की पारंपरिक चरागाह व्यवस्था को भी खतरे में डाल रहा है।अवैध कालोनियों ने नियमों को दरकिनार करते हुए डिग्गी कस्बे में अवैध कॉलोनियों का जाल तेजी से फैल रहा है। जहाँ कॉलोनी संचालकों ने न तो लेआउट की स्वीकृति ली है, और न ही बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कोई व्यवस्था की है।सरकारी नियमों के मुताबिक, किसी भी कॉलोनी को बसाने से पहले पीने के पानी, सीवरेज, सड़क और ड्रेनेज जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था अनिवार्य होती है। लेकिन यहाँ स्थिति यह है कि न तो सड़कें बनी हैं, न नालियाँ, और न ही पानी-बिजली की नियमित आपूर्ति। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने प्लॉट खरीद तो लिया, लेकिन अब ना तो सुविधा है, और ना ही कोई सुनवाई। प्रशासन की ओर से इस कॉलोनी पर अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है