
मालपुरा:- मालपुरा विधानसभा सभा क्षेत्र में राजकीय महाविद्यालय के हालात इतने बदतर हो गए की अब तो अभिभावक हादसे के डर से अपने बच्चों को शिक्षा के लिए भेजने को मना करने लगे हैं। राजकीय महाविद्यालय में 1400 से अधिक छात्र नामांकित है। परंतु राजकीय महाविद्यालय में पढ़ाई के लिए एक भी कैमरा सुरक्षित नहीं है। ऐसे में स्टूडेंट जर्जर भवनों को पढ़ने को मजबूर है।

सरकारें आई और गई पर नही सुधरी राजकीय महाविद्यालय मालपुरा के हालात
मालपुरा:-ऐसे तो केंद्र और राज्य की सरकार सरकारी कॉलेजों में कई नई नई योजनाओं से बच्चों को शिक्षा देने की कोशिशें करती रही लेकिन आजतक शिक्षा मंदिरों की ओर किसी सरकार, अधिकारी, नेता का ध्यान नही गया। न कभी किसी ने इस बात पर गौर किया की कई वर्षों पहले बने मालपुरा के राजकीय महाविद्यालय की स्थिति कैसी है। चुनावों में सबको याद आता है ..! पर स्थिति आज भी वही है..!
शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर सरकारी दावों की कलई लगातार खुल रही है।इसका जीता-जागता उदाहरण है मालपुरा का राजकीय महाविद्यालय। राजकीय महाविद्यालय में हर दीवार दरारों से भरी,छतों पर पाल लगे, क्लास रूम में पानी टपकते ,पर हालात यह है कि छात्रों को पढ़ाई से ज्यादा अपनी जान बचाने की दुआ करते नजर आते हैं अभिभावक। विधानसभा चुनावों में नेताओं ने महाविद्यालय को दुरुस्त कराने के वादे किए थे पर अब वादे कहां गए..?
कभी जनता का सपना, आज अतिक्रमण की भेंट!
राजस्थान के मालपुरा कस्बे में कभी शिक्षा के एक मजबूत केंद्र के रूप में बना राजकीय महाविद्यालय आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है! 1996 में रखा गया शिलान्यास, 1998 में हुआ उद्घाटन – उस वक्त जनता का जोश सातवें आसमान पर था! तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत और दिल्ली के मुख्यमंत्री साहेब सिंह ने इसका उद्घाटन किया था, और इसे साकार करने में पूर्व विधायक जीतराम चौधरी की अहम भूमिका रही। लेकिन आज हालात कुछ और ही हैं! कॉलेज की 52 बीघा जमीन अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी है, और अजमेर हाईवे से कॉलेज की रोड 30 फीट दर्ज है, लेकिन हकीकत में सिर्फ 15 फीट नजर आती है! सबसे बड़ी चिंता – हर दीवार दरारों से भरी है, छतें कभी भी गिर सकती हैं! लेकिन मौजूदा जनप्रतिनिधि इसे बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे। आखिर क्यों? क्या शिक्षा की यह धरोहर यूं ही खंडहर बन जाएगी?